Tuesday, May 19, 2009

अब तो सोचो राष्ट्र की भाई

बहुत हो चुकी अ़ब ये लडाई
अ़ब तो सोचो राष्ट्र की भाई
हो चाहे हिंदू मुश्लिम सिक्ख इशाई
राष्ट्रीयता ही हो एक इकाई

हमारे देश मैं बहुत से राजनैतिक संगठन हैं, और हर संगठन की कुछ विचारधाराएँ हैं , लेकिन किसी भी संगठन मे मुझे राष्ट्रवाद, राष्ट्रभक्ति की भावना नही देखती

भाजपा - हिंदुत्व प्रेम से ग्रषित है
कांग्रेस - अल्पसंख्यक (मुस्लिम , इशाई) प्रेम से ग्रसित है
बसपा - शुद्र प्रेम से ग्रसित है
स पा - यादव प्रेम
रा ज - मुस्लिम यादव प्रेम ...

लेकिन कर कोई नही रहा kuch भी kisi के लिए ... राष्ट्र के बारे मैं तो कोई सोच हे नही रहा ... सब आपना पेट भरने के कोशिश मैं हैं राष्ट्रवाद की बात कोई नही कहता, जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। लोगों के अंदर से राष्ट्र के प्रति प्रेम कम हो गया है। स्वामी विवेकानंद जी का एक वृतांत याद आ रहा है, इश समय ये बात बतानी जरूरी है, एक बार वो जापान गए थे, और वहां की ट्रेन मैं सफर कर रहे थे , उनको आम खाने की इक्षा हुई, लेकिन वह ट्रेन मैं कोई आम वाला हव्कर था हे नही , उन्होंने आपने साथ सफर कर रहे लोगों से बोला की जापान मैं आम नही मिलता क्या ?

ये बात वही पैर बैठे एक जापानी युवक ने सुना, वो अगले स्टेशन पैर उतरा और बहार जा करके आम ले आया और स्वामी जी को आम खाने को दिया । स्वामीजी ने उश्से पुछा की क्या तुम मुझे जानते हो जो बहार से आम ले आए !!! युवक ने उत्तेर दिया - नही मैं आपको नही जानता, लेकिन मैं आपने देश से प्रेम करता हूँ और कोई मेरे देश के बारे मैं कुछ भी कहे मैं सुन नही सकता। आपने कहा की जापान मैं आम नही मिलते इशलिये मैं आम ले कर के आया ।
स्वामी जी उस युवक की देशभक्ति देख कर के दंग रह गए...

ऐसा hi desh प्रेम हम लोगों में जगे इशकी कामना के साथ आपसे विदा लेना चाहूँगा... और ये कहना चाहूँगा की जात और धरम के नाम पर देश को मत बांटो , भारत वाशी बनो और मिल कर के रहो...

3 comments:

  1. Thanks a lot for thinking about this Great Country and the philosophy of Rashtravad.

    Realy we need it at this time to make this nation a super power.That is possible only when we all come forward and join hands together.

    Story was also very intresting and eye opener for all Indians.......

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  2. आप का स्वागत है बन्धु .
    सब दलों की जो कमजोरियां बतायीं वो मुखौटा है . इन सब का सत्ता के सिवा किसी भी चीज से कुछ लेना देना नहीं है . अगर कल इन्को किसी और मुद्दे पर वोट मिले तो उस्के खिलाफ़ होने पर भी समर्थन करने लग जायेन्गे !
    यही इन सब मे कामन फ़ैक्टर है . बस .
    सभी राष्ट्र द्रोही हैं.

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  3. तुमच्या मताची किमत मीठ मिरची इतकी समजू नका. त्यातील सामर्थ्य ज्या दिवशी तुम्हाला कळेल तेव्हा ते मत विकत घेऊ पाहणार्‍या इतके कंगाल कोणीच नसेल...!
    -महामानव भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

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