Friday, June 5, 2009

हमारी सरकार धर्म निरपेक्ष सरकार है

हमारी सरकार धर्म निरपेक्ष सरकार है। धर्म निरपेक्ष सरकार का क्या काम होना चाहिए...

किसी भी धर्म का विरोध न करना।
किसी भी धर्म को नीचा ना दिखाना।
किसी भी धर्म को ऊँचा न दिखाना।
किसी भी धर्म के लोगों से भेद भाव ना रखना ।
किसी भी धर्म को रियायत न देना।
किसी भी धर्म के उपर सिकंजा न कसना।

अगर इन सभी शर्तों को पुरा करती है सरकार तो वो धर्म निरपेक्ष है, अगर एक भी शर्त अधूरी है तो फिर वो धर्म निरपेक्ष नही हो सकती। आप बताइए क्या हमारी सरकार ऐसा क़र रही है...
सभी कहते है की हमें इन सभी बातो से उपर उठ केर के सोचना चाहिए, हमें विकास की बात करनी चाहिए
.... लेकिन क्या अपने अंदर के वैचारिक अन्तर द्वंद को मिटाए बगैर कोई आगे बढ़ पायेगा
.... ऐसा नही लगता की सिर्फ़ इस धर्म निरपेक्ष होने के कारन हि हमारे अंदर इतनी अशांति है
.... ऐसा नही लगता की अ़ब हमें धर्म निरपेक्षता को छोड़ कर राष्ट्रवाद की सोचनी चाहिए
.... राष्ट्रवाद हि एक ऐसा तरीका है जिस से हम पुरे भारत वर्ष को बाँध सकते है, क्या ऐसा नही लगता

हर भारतीय को ये सोचना चाहिए ।

अल्पसंख्यकों खासतौर से मुसलमानों पर और बरसेगी सरकारी रहमत

हमारे राष्ट्र की धर्म निरपेक्ष सरकार के निर्णय :
संप्रग सरकार के पिछले कार्यकाल में सेना में मुसलमानों की गिनती, रोजगार के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों के पहले हक के लिए प्रधानमंत्री की पैरवी, सच्चर कमेटी की सिफारिशों पर शुरुआती अमल के चुनावी नतीजे देख सरकार के हौसले बढ़ गए हैं। लिहाजा अब वह उनका और खयाल रखेगी। ... अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुसलमानों के साथ और भी शिद्दत से खड़ी होगी। विरोधी दल अर्से से कांग्रेस और संप्रग सरकार पर अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन सरकार ने न पहले उसे तवज्जो दी और न आगे देने जा रही है। सरकार ने यह कहकर अपनी मंशा साफ कर दी है कि अल्पसंख्यकों की बेहतरी को उच्चतम प्राथमिकता देना वह जारी रखेगी। ... इस बार इन सब पर और तेजी से काम होगा इसीलिए सच्चर कमेटी की ओर से समान अवसर आयोग बनाने की सिफारिश पर भी अब अमल होगा। हज पर जाने वाले मुसलमानों के खास ख्याल ... वक्फ प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए सरकार वक्फ कानून में भी संशोधन करेगी।
सोजन्य से : नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो

बाकि धर्म के लोग तो यही कहेंगे : मैं वैरी सुग्रीव प्यारा !!!
आख़िर हो भी क्यों न, मतदान तो इन्होने ही किया है , पुरे भारत वर्ष का वोटिंग परसेंटेज रहा लगभग ४०-५० परसेंट , जिसमे २५-३० परसेंट तो इसी समुदाय के लोगों ने दिया, बाकि समुदाय के ने या तो वोट नही दिया या अपने समुदाय के अंदर के घटकों में ही व्यस्त रहे...
यानि की अभी ३० % लोगों का देश के ७० % लोगों पर शासन है।

अभी भी समय है आपने मताधिकार का प्रयोग करें नही तो ...