Friday, June 5, 2009

अल्पसंख्यकों खासतौर से मुसलमानों पर और बरसेगी सरकारी रहमत

हमारे राष्ट्र की धर्म निरपेक्ष सरकार के निर्णय :
संप्रग सरकार के पिछले कार्यकाल में सेना में मुसलमानों की गिनती, रोजगार के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों के पहले हक के लिए प्रधानमंत्री की पैरवी, सच्चर कमेटी की सिफारिशों पर शुरुआती अमल के चुनावी नतीजे देख सरकार के हौसले बढ़ गए हैं। लिहाजा अब वह उनका और खयाल रखेगी। ... अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुसलमानों के साथ और भी शिद्दत से खड़ी होगी। विरोधी दल अर्से से कांग्रेस और संप्रग सरकार पर अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन सरकार ने न पहले उसे तवज्जो दी और न आगे देने जा रही है। सरकार ने यह कहकर अपनी मंशा साफ कर दी है कि अल्पसंख्यकों की बेहतरी को उच्चतम प्राथमिकता देना वह जारी रखेगी। ... इस बार इन सब पर और तेजी से काम होगा इसीलिए सच्चर कमेटी की ओर से समान अवसर आयोग बनाने की सिफारिश पर भी अब अमल होगा। हज पर जाने वाले मुसलमानों के खास ख्याल ... वक्फ प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए सरकार वक्फ कानून में भी संशोधन करेगी।
सोजन्य से : नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो

बाकि धर्म के लोग तो यही कहेंगे : मैं वैरी सुग्रीव प्यारा !!!
आख़िर हो भी क्यों न, मतदान तो इन्होने ही किया है , पुरे भारत वर्ष का वोटिंग परसेंटेज रहा लगभग ४०-५० परसेंट , जिसमे २५-३० परसेंट तो इसी समुदाय के लोगों ने दिया, बाकि समुदाय के ने या तो वोट नही दिया या अपने समुदाय के अंदर के घटकों में ही व्यस्त रहे...
यानि की अभी ३० % लोगों का देश के ७० % लोगों पर शासन है।

अभी भी समय है आपने मताधिकार का प्रयोग करें नही तो ...

7 comments:

  1. अरे, ये बारिश कहां होने वाली है। बताना, वहीं पर लाकर एक ड्रम रख दिया जाए।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  2. क्षमा करे श्रीमन,
    इस बात से आपकी क्यों प्रोब्लम हो रही है ? मुसलमानों और अल्पसंख्यको ने उन्हें १००% वोट भी तो दिए ! हम बहुसंख्यको को तो ऐसे मुद्दे उठाते हुए शर्म आनी चाहिए कि हम तथाकथित बहुसंख्यक होते हुए भी उनकी तरह एकजुट नहीं है !

    ध्यान रहे की राजनीति अब व्यापार बन चूका है और अगर इस देश के मुसलमान अपने को ऊंची कीमत पर बेच पा रहे है तो ये उनकी व्यापार कुशलता है, और हम अगर अपना माल ठीक से नहीं बेच पा रहे या फिर निम्न कोटि का माल तैयार कर रहे है तो यह हमारी कमी है ,हमें खिसियाई बिल्ली की तरह खम्बा नोचने के क्या मिलेगा ?

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  3. कहीं बादल गरज कर ही ना निकल जाएं....कथनी और करनी मे बहुत अंतर होता है।
    आप की बात सही है मताधिकार का प्रयोग जरूर करना चाहिए।

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  4. खिसियाई बिल्ली की तरह खम्बा नोचने के क्या मिलेगा ?

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  5. वैसे आज तक मूर्ख बनने वाली कौम भी मुस्लिम ही है जो यह नहीं समझ रहे कि वे मात्र वोटबैंक बन कर रह गए है. भलाई खैरात और पोंगापंथ में नहीं शिक्षा में है.

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  6. श्रीमान गोदियाल साहब,

    आपने शायद पूरा लेख पढ़ा नही ... मैने भी यही कहा है की आपना मताधिकार का प्रयोग करो...
    परिस्थिती का फयडा तो सभी उठाते है... आज नेता गण भी यही कर रहे है.
    हमे चाहिए की हम आपने अधिकार का प्रयोग करे और राष्ट्रा निर्माण मे आपनी भागीदारी भी सुनिश्चित करें

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  7. देश प्रेमी महोदय,

    मैंने आपका पूरा लेख पढ़ा था, आपने ऊपर एक खबर को पेस्ट किया और नीचे अपने बिचार दिए !
    लेकिन शायद मैं अपनी अभिव्यक्ति ठीक से नहीं कर पाया जो आप गलत समझे ! मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि हम बहुसंख्यक को अब इनसे मुद्दे उठाने ही नहीं चाहिये ! क्या आप सोचते है कि इन स्वार्थी और शुप्त पड़े तथाकथित हिन्दुओ को यह बात पता नहीं ? भाईसाब, इनको सब मालूम है मगर इन्होने जब सब कुछ मालूम होते हुए भी मुसलमानों और अंग्रेज आक्रंताओ की गुलामी हंसते-हंसते स्वीकार कर ली थी तो यह कौन सी बड़ी बात है इनके लिए ! ये स्वार्थी हिन्दू लोग कभी नहीं जागेगे ? जो मर्जी करलो !

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